हम तुम- भाग 5
भाग 5
आदित्य आज जल्दी खाना खाकर सोने चला गया था अपने कमरे में। दरअसल नींद तो उसकी आँखों से बहुत दूर थी, था कुछ पास तो वो सिर्फ अदिति का एहसास था, उसकी खुशबू। आज वो पहली बार अदिति के साथ एक ही सीट पर बैठा था बस में। इतनी पास थी वो उसके। उसकी महक पहली बार उसने महसूस की थी। उसके दिल की धड़कनें तेज़ी से चलने लगी थी। आज बहुत कुछ पहली बार हुआ था। आज दिल ने इज़ाजत दे दी थी एहसासात को कागज़ पर उतारने की।
आदित्य पागल सा हुए जा रहा था। उसके दिल में तूफ़ान उठ रहा था। इतनी ख़ुशी थी मन में कि छिपाना मुश्किल हो रहा था। उसे हर जगह अदिति ही अदिति दिख रही थी। ऑफिस में होता तो मन करता, बस उसी को देखता रहे। घर में होता तो सारा समय उसी के बारे में सोचता रहता बस। वो अदिति को अपने दिल की बात बताना चाहता था। इसलिए उसने सोचा क्यों ना एक लेटर लिखा जाये अदिति को।
पहले तो समझ ही नहीं आ रहा था शुरुवात कैसे करे, लेकिन फिर सोचा ज़्यादा सोचूंगा तो लिख नहीं पाऊंगा। इसलिए जो दिल में आता है वही लिख देता हूँ बिना किसी तामझाम के।
रात को जैसे ही खत लिखकर खत्म करता है कि सर का फोन आ जाता है कि सुबह ऑफिस ना आकर सीधा क्लाइंट के ऑफिस में आ जाये मीटिंग के लिए। आदित्य का मूड ऑफ हो जाता है बॉस का फोन सुनकर और यह सोचकर कि अब वो सुबह-सुबह अदिति से मिल नहीं पायेगा और ना उसे यह खत दे पायेगा। उसके ऑफिस की दिनचर्या की शुरुवात ही अदिति का चेहरा देखकर होती थी। ऐसे में ऑफिस न जाकर, सीधा क्लाइंट के ऑफिस में मीटिंग के लिए जाने के बारे में सोच-सोचकर उसका मूड खराब हुआ जा रहा था।
आदित्य लंच टाइम के बाद ऑफिस पहुँचता है। अदिति अपना काम कर रही होती है कंप्यूटर पर।
अदिति आदित्य से उसकी मीटिंग के बारे में पूछती है और फिर से अपने काम में लग जाती है।
आदित्य को हल्का सा गुस्सा सा आ जाता है अदिति को देखकर और वो उसके पास जाकर गुस्से से कहता है…..काजल क्यों नहीं लगाया आँखों और ना ही कानों में टॉप्स पहने हैं। तुम्हें पता नहीं शायद तुम्हारी इन छोटी-छोटी आँखों में काजल कितना फबता है। बिंदी तक नहीं लगायी माथे पर, यह सब क्या है अदिति?
अदिति निशब्द हो गयी थी आदित्य की यह बात सुनकर। उसे अंदाजा भी नहीं था कि आदित्य उसे इतना नोटिस करता होगा। इतने ध्यान से तो उसने खुद को भी कभी आईने में नहीं देखा था। आज तक उससे किसी लड़के ने ऐसी बात नहीं की थी। अदिति को कुछ पल के लिए समझ ही नहीं आ रहा था वो क्या प्रतिक्रिया दे आदित्य की कही बात पर। उसने इतने हक़ से कहा था जैसे वो उसका कोई बेहद अपना हो। वो उसकी तरफ सिर्फ एकटक देखी जा रही थी।
आदित्य को भी समझ नहीं आया उसने यह कैसे बोल दिया। उसे तो यह भी पता नहीं था कि उसे अदिति की काजल लगी आँखें, उसके कानों में टॉप्स इतने पसन्द है कि आज उसे बिना इन सब चीजों के देखकर वो बेचैन हो गया।
अदिति को यूँ घूरता देख अपनी तरफ , उसने फिर गुस्से से कहा….मुझे घूरने के बजाय अपने काम पर ध्यान दो, सर अभी थोड़ी देर में आ जायेंगे।
अदिति भी गुस्से में ही जवाब देती है….जो तुमने अभी बात कही है वो बात तुम भी याद रखना। तुम भी अपने काम पर ध्यान दो, मुझ पर नहीं।
आदित्य मन ही मन पछता रहा होता है वो क्यों बार-बार अदिति पर गुस्सा हो जाता है?
शाम को अदिति जब बस से उतर रही होती है, आदित्य उसके हाथ में लेटर थमा देता है और कहता है इसे घर जाकर आराम से पढ़ना। अदिति लेटर को फैंकने ही वाली होती है कि आदित्य आँखों से इशारा करते हुए उसे मना करता है लेटर फैंकने से।
अदिति वो लेटर ले लेती है। उसके मन में अंदेशा तो होता है कि आखिर लेटर में होगा क्या। उसका मन जोरों के धड़क रहा होता है। वो घर पहुंचते ही अपना कमरा बंद करके सबसे पहले लेटर खोलकर पढ़ती है।
लेटर में लिखा होता है…..
हैलो अदिति
मुझे समझ नहीं आ रहा मुझे क्या हो गया है। कुछ दिनों से मैं अपने अंदर एक बड़ा अजीब सा बदलाव महसूस कर रहा हूँ। जो लड़की मुझे कभी पसन्द नहीं थी, वो आज मुझे अच्छी लगने लगी है। हर वक़्त उसे देखने को दिल चाहता है, उससे बात करने को दिल चाहता है। हाँ अदिति, मैं तुम्हें पसंद करने लगा हूँ, शायद पसन्द से भी ज्यादा प्यार करने लगा हूँ। आजकल तुम्हें देखने के अलावा मुझे कुछ भी अच्छा नहीं लगता है।
मुझे प्यार के बारे में ज्यादा नहीं मालूम क्योंकि इससे पहले मैंने कभी ऐसा महसूस नहीं किया है, ना ही ऐसे कभी किसी को लेटर लिखा है। जब भी कोई गाना सुनता हूँ तो मुझे तुम्हारा ही ख्याल आता है। बस दिन रात एक ही गाना सुनता रहता हूँ.... "यह जमीं रुक जाए, आसमां झुक जाए, तेरा चेहरा जब नजऱ आए"।
तुमको देखते ही मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती है, जो तुम्हारे जाने के बाद भी मेरे होंठों पर बनी रहती है। और भी बहुत कुछ कहना चाहता हूँ लेकिन शब्द नहीं मिल रहे हैं। काश! इस लेटर की शुरुवात मैं "मेरी अदिति" लिखकर कर पाता और अंत "तुम्हारा आदित्य" लिखकर।
कुछ बुरा लगे तो मुझे माफ़ कर देना लेकिन इस बात को हमारी दोस्ती के बीच आने मत देना।
आदित्य
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अदिति की साँसे तेज़ चल रही होती हैं। आज किसी ने पहली बार उसे लव लेटर लिखा था। उसकी अब तक की जिंदगी का यह पहला लव लेटर था। उसे उम्मीद नहीं थी कि कभी कोई उसे भी यह बात कहेगा, उसका साधारण सा चेहरा किसी को इतना पसन्द आयेगा, कोई उसकी इतनी परवाह करेगा।
आदित्य के व्यवहार में आये इस बदलाव से अदिति भली भांति वाकिफ थी लेकिन वो चाहती थी कि आदित्य इसकी पहल करे। अदिति यूँ तो बहुत खुश थी लेकिन वो चाहती थी कि अगर वो किसी से प्यार करे तो उम्र भर के लिए करे। वो टाइम पास वाला गर्लफ़्रेंड-बॉयफ्रेंड वाला रिश्ता नहीं चाहती थी।
आदित्य चाहे उसे जितना भी पसन्द हो लेकिन जब तक वो उसके मापदंडों पर खरा नहीं उतरेगा, तब तक वो इस रिश्ते की शुरुवात नहीं करेगी।
इधर आदित्य भी परेशान था अदिति की प्रतिक्रिया को लेकर। सारी रात यही सोचते-सोचते गुज़र गयी कि अदिति क्या जवाब देगी सुबह उसके लेटर का।
रात ठीक से नींद नहीं आने के कारण सुबह आँख देर से खुली और आदित्य ऑफिस देर से पहुंचा। सर आज जल्दी आ गए थे ऑफिस में और अदिति से उसकी और सुमित के प्रोजेक्ट्स की अपडेट ले रहे थे। पूरा दिन सर कहीं मीटिंग के लिए बाहर गए ही नहीं। अदिति से इस बात को लेकर कोई बात ही नहीं हो पाई।
कई बार अदिति की तरफ देखा लेकिन अदिति ने बस इतना ही कहा…..बाद में बात करते हैं, अभी मैं व्यस्त हूँ।
आदित्य ने इतनी बेचैनी, इतना तनाव तो कभी किसी इंटरव्यू के वक़्त भी महसूस नहीं किया था, जितना वो आज कर रहा था। उसे गुस्सा आ रहा था अपने आप पर, अदिति पर और अपने दिल में उमड़ते अदिति के लिए प्यार पर।
❤सोनिया जाधव
Punam verma
10-Jan-2022 09:18 AM
Very nice
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Naina Tiwari
09-Jan-2022 04:33 PM
good
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Neelam Jha.
09-Jan-2022 04:31 PM
nice
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